कोरोना टीका कितना सुरक्षित? एम्स के एक्सपर्ट ने दी बड़ी अहम जानकारी

कोरोना टीका कितना सुरक्षित? एम्स के एक्सपर्ट ने दी बड़ी अहम जानकारी

सेहतराग टीम

कोरोना के मामले लगातार बढ़ते चले जा रहे हैं। ऐसे में लोगों की चिंता भी बढ़ रही है। ऐसी स्थिति में भारत को थोड़ी राहत नए साल में मिली है। ये राहत वैक्सीन आने से हुई है। जी हां 2021 के शुरू होते ही भारत सरकार ने कोरोना की दो वैक्सीन को मंजूरी देकर लोगों को राहत दी है, लेकिन उसके बावजूद भी लोगों के मन में अभी भी कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। लोग सोच रहे हैं कि क्या ये वैक्सीन सेहत के लिए लाभकारी है या नहीं। यही नहीं लोगों के मन में सवाल खड़े हो रहे हैं कि वैक्सीन के प्रयोग से हमे कोई अन्य समस्या तो नहीं हो जाएगी? ऐसे ही कई तरह के सवालों का समाधान आज हम अपने इस लेख के माध्यम से करेंगे। तो आइए जानते हैं-

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आपको बता दें कि भारत सरकार ने भारत बायोटेक द्वारा विकसित कोवैक्सीन और दूसरा सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा विकसित कोविशिल्ड को मजूरी दी है। ये दोनो वैक्सीन इमरजेंसी में प्रयोग के लिए इस्तेमाल की जा सकेंगी। एम्स के एक्सपर्ट की मानें तो नियामक एजेंसी ने काफी दिनों तक परखने के बाद ही इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दी है। ऐसे में लोगों को इन वैक्सीनों पर विश्वास करना चाहिए। वहीं अगर कोवैक्सीन की बात करें तो ये टीका मृत कोरोना वायरस से तैयार किया गया है। इसके बाद इस वैक्सीन के दो ट्रायल भी हुए और उन दोनों ट्रायल का रिजल्ट भी मौजूद है जिसे कोई भी देख सकता है। उस रिजल्ट की बात करें तो सिर्फ 10 फीसद लोगों में इंजेक्शन देने की जगह पर दर्द, हल्का बुखार व शरीर में दर्द हुआ है। लेकिन बाद में वो ठीक भी हो गए हैं। वहीं 90 फीसद लोगों को कुछ नहीं हुआ है। किसी भी व्यक्ति में गंभीर दुष्प्रभाव नहीं पड़ा है।

एम्स के एक्सपर्ट की मानें तो विदेशों में इस्तेमाल की जा रही एम-आरएनए तकनीक से विकसित टीकों के कुछ लोगों पर गंभीर दुष्प्रभाव हो रहा है जो लोगों के सामने भी आ रहा है। वहीं हमारे देश में विकसित की गई वैक्सीन के इस्तेमाल से कोई भी दुष्प्रभाव नहीं हो रहा है। ऐसे में एम्स के एक्सपर्ट इस टीके को सुरक्षित बता रहे हैं और लोगों को विश्वास करने की अपील कर रहे हैं। वहीं अब लोगों के मन में ये भी सवाल खड़ा हो रहा है कि अभी तक जो भी दवाइयां बनती थीं उनका कुछ ना कुछ दुष्प्रभाव जरूर होता था। तो ऐसे में इन वैक्सीन का दुष्प्रभाव रहित होना लोगों को आंशका में डाल रहा है। तो आइए जानते हैं कि क्या कोई भी दवा दुष्प्रभाव रहित हो सकती है?

इस विषय पर एम्स के एक्सपर्ट से बात करने पर पता चला कि कोई भी टीका सौ फीसद दुष्प्रभाव रहित नहीं हो सकता। यदि कोई ऐसा दावा करता है तो वो गलत है। क्योंकि छोटे से टीके का भी थोड़ा दुष्प्रभाव होता है। लोगों को हल्का बुखार होता है जिसके लिए डॉक्टर पैरासिटामोल दवा देता है। वहीं यदि किसी टीके से गंभीर दुष्प्रभाव का खतरा रहता है तो उससे बचने के लिए कुछ सावधानियां बरती जाती हैं। इसलिए तो एम-आरएनए तकनीक से विकसित कोरोना के टीको को एलर्जी से पीड़ित लोगों को नहीं लेने की सलाह दी गई है। वहीं भारत में विकसित दोनों टीकों से कोई दुष्प्रभाव नहीं देखा गया है। इसलिए इन टीकों के लिए ऐसी कोई एडवाइजरी नहीं जारी की गई है। हालांकि टीकाकरण के दौरान दुष्प्रभाव की निगरानी की जा रही है और अगर कोई दुष्प्रभाव मिलता है तो उसे दूर करने की तैयारी भी चल रही है।

हम कोई भी टीका लगवाते हैं तो हमें हल्का बुखार और दर्द जरूर होता है जिससे बचने के लिए डॉक्टर कोई दवा जरूर देते है। ऐसे में लोग सोच रहे हैं कि कोरोना के टीके बाद भी क्या कोई दवा उपलब्ध होगी। इस बारे में एम्स के एक्सपर्ट ने कहा कि अभी तक कोई गंभीर दुष्प्रभाव नहीं दिखा है। वहीं हल्का बुखार और दर्द के केस जरूर आए हैं। उनके लिए कोई दवा खाने की आवश्यकता नहीं है। हालांकि अगर ज्यादा तेज बुखार हो या शरीर दर्द हो तो ऐसी स्थिति में डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

कोरोना की वैक्सीन तकरीबन एक साल के बाद आई है। ऐसे में इस पर लोगों को थोड़ा कम विश्वास है। क्योंकि वैक्सीन बनने से पहले लोग इस वायरस का प्रकोप झेल चुके है। ऐसे में कोरोना वैक्सीन आने पर लोग ये सोच रहे है कि इसका कितना प्रभाव होगा या कहें कि ये टीका कितना प्रभावी है। इस विषय पर एम्स के एक्सपर्ट का मानना है कि टीके का प्रभाव निकालना है तो ये जानना जरूरी है कि दोनों डोज लगने के बाद कितने लोगों को कोरोना हुआ है। इस आधार पर माडर्ना कंपनी ने 95 फीसद प्रभावी होने का दावा किया है। इसका मतलब यही है कि ज्यादातर लोगों का बचाव ये टीका कर रहे हैं। वहीं एम्स के एक्सपर्ट की मानें तो आक्सफोर्ड यूके, ब्राजील व दक्षिण अफ्रीका में हुए ट्रायल के आधार पर भारत में बने टीके को फुल डोज के साथ 62.4 फीसद प्रभावी बताया है।

एम्स के एक्सपर्ट ने कोवैक्सीन के बारे में भी कहा कि ये भी प्रभावी होगी, क्योंकि दूसरे चरण के ट्रायल में यह पाया गया है कि टीका लगने के बाद 98 फीसद से ज्यादा लोगों में न्यूट्रलाइजिंग एंटीबाडी बनी जो वायरस को न्यूट्रलाइज कर सकती है। इसलिए टीके में रोग प्रतिरोधकता उत्पन्न करने की बेहतर क्षमता है। वहीं ट्रायल में ये भी देखा गया है कि वायरस के शरीर में प्रवेश करते ही टी-सेल इम्यूनिटी सक्रिय होकर वायरस को खत्म कर देती है।

कोरोना के टीके आने के बाद अफवाह फैल रही है कि ये टीका लोगों में हार्मोनल परिवर्तन लाता है। इस विषय में एम्स के एकसपर्ट की मानें तो ये बिल्कुल अफवाह ही है। वहीं एम्स के एक्सपर्ट ने ये भी बताया कि ऐसी ही अफवाह पोलियो के दौरान भी फैलाई गई थी जिसके बाद सरकार ने इस विषय पर जागरूकता अभियान चलाकर इस पोलियो के बारे में लोगों को समझाया था। तब लोगों को विश्वास हुआ था और अब तकरीबन सभी लोग पोलियों का टीका लगवाते हैं। ऐसा ही इन टीकों के बारे में भी करना होगा। क्योंकि काफी इतंजार के बाद ही ये टीका आया है। ऐसे में लोगों को कोरोना का टीका लगवाना चाहिए।

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